क्या है खास बात? अगर हम दूसरों को तरक्की करते हुए देख रहे है।

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क्या है खास बात? अगर हम दूसरों को तरक्की करते हुए देख रहे है।
अपने जीवन में सभी आगे बढ़ना चाहते हैं, तरक्की करना चाहते हैं। और इसके लिए परिश्रम भी करते हैं। पर जब अपने आसपास चारों ओर देखते हैं और यह पाते हैं कि दूसरे काम को करते हुए बेहतर दिशा की ओर आगे बढ़ रहे हैं। और कुछ लोग उनसे अलग काम करते हुए बेहतर कार्य कर रहे हैं। तो कहीं न कहीं, दिल में ख्याल आता है कि काश मैं भी ऐसा कर पाता। पर अगर ऐसा नहीं हो रहा है, तो अंदर से कहीं न कहीं ऐसा महसूस होता है, कि,,, काश मैं उससे बेहतर कर पाता!,,, उससे अच्छा कार्य कर पाता! हम अपने आप को उनसे आगे देखना चाहते हैं। फलस्वरूप होता यह है कि हम उनके कार्य को सराहना करने के बजाए नजरअंदाज करते हैं। 



यदि आपके अपने ही मित्र हो, चाहे रिश्तेदार हो, चाहे कोई परिचित हो, कोई भी। नया काम की शुरुआत कर रहा है,  कुछ अलग काम कर रहा है, आपको लगता है की उनके कार्य की सराहना करना व्यर्थ है। यदि आप उसके किसी भी व्यवसाय को छोटा समझते हैं, सम्मानजनक नहीं समझते हैं। आपको उके कार्य में  नकारात्मक चीजें ज्यादा दिखाई देती है। तो कहीं न कहीं से आप स्वयं के लिए बहुत बड़ी गलती कर रहे हो, जी हां! ऐसा ही है!,,,, जब आप मेरी इस आर्टिकल को पढ़ेंगे तो आपको पूरी बात अच्छे से समझ में आ जाएगी। क्योंकि इसका सीधा असर हमारे मन-मस्तिष्क पर होता है। आप कहेंगे कैसे?

[ हमारा वर्तमान ही हमारा भविष्य का निर्धारण करता है! ]

कैसे?,,, चलिए बेहतर तरीके से समझते हैं!


ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जब हम दूसरों को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते है, तो परिणाम स्वरूप यही मानसिकता स्वयं के लिए भी हानिकारक हो जाता है। क्योंकि फिर हमारे अवचेतन मन को इस तरह की बातों की आदत लग जाती है। यह चीजों को उसी प्रोग्राम (आदत लगे)  तरीके से अवलोकन करने लगता है। और इसलिए अगर हम स्वयं के किसी कार्य के बारे में सोचते हैं जो अपने बेहतर भविष्य के लिए किसी योजना के बारे में हैं। तो उस काम को हम एक्शन में नहीं ले पाते हैं। क्योंकि हमारा दिमाग उसे एक्शन में लेने नहीं देता है। दिमाग भरोसा ही नहीं कर पाता है। क्योंकि फिर दिमाग किसी परेशानी या समस्या के बारे में सोचने लगता हैं। उस कार्य में कमियां देखने लगता है।



आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसा कैसे हो सकता है?,,,,यह फालतू और फिजूल की बातें हैं। पर ऐसा नहीं है!  इसको मैं आपको उदाहरण के साथ में समझाता हूं,,, तैयार?

तो चलिए इसके बारे में बेहतर तरीके से समझ लेते हैं कि, हमारा दिमाग किस तरह से कार्य करता है और फैसले लेता है?

चेतन और अवचेतन मस्तिष्क

सबसे पहले तो हम समझ लेते हैं कि चेतन और अवचेतन मस्तिष्क क्या होता है। जब आप अपनी इच्छा अनुसार अपने शरीर के किसी भी अंग को चला सकते हैं। जैसे, हाथ हिलाना, पैर हिलाना, ताली बजाना, चलना फिरना, दौड़ना यह सब काम जिससे आप जब चाहे कर सकते हैं यह चेतन मस्तिष्क के द्वारा होता है। इसी प्रकार जब आप रास्ते पर वाहन चला रहे होते हैं। और अचानक कोई रास्ते पर आ जाता है, और आप तीव्र गति से गाड़ी को नियंत्रण में लेकर ब्रेक मार लेते हैं। जो बिना सोचे समझे ऐसा अचानक हो जाता है। ऐसा कार्य आपका अवचेतन मस्तिष्क करता है।

चलिए इसको मैं और अच्छे से उदाहरण से समझाता हूं जब आप सो रहे होते हैं तो आपके सांसों का चलना अवचेतन मस्तिष्क के नियंत्रण में होता है जब सोते वक्त आपको कुछ भी होश नहीं रहता है और किसी के आवाज देने पर आपकी नींद खुल जाती है तो इस प्रकार से अचानक नींद से जगाने का कार्य आपका अवचेतन मस्तिष्क ही करता है। नींद के दौरान आप जो सपने देखते हैं और आपके दिमाग में जो विचार चल रहा होता है वह सब अवचेतन मस्तिष्क नियंत्रक में होता है।



रिसर्च कहता है कि अवचेतन मस्तिष्क हमारे चेतन मस्तिक से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है। आप बचपन से लेकर पूरी जिंदगी जो भी कार्य करते हैं वह सब आपको याद रहे चाहे ना रहे पर अवचेतन मस्तिष्क में सब कुछ याद रहता है।

चलिए अब एक प्रयोग करते हैं,,, 
अगर मैं आपसे गुलाब जामुन खाने की बात कहूं तो पक्का आप को उसके मिठास का अनुभव हो रहा होगा। और यदि मैं आपको नींबू चखने के बात कहूं तो आपके मुंह पर पानी आ रहा होगा,,,सही है? आपके ना चाहते हुए भी आपके मुंह पर पानी लाने का कार्य अवचेतन मस्तिष्क कर रहा है। वह आपके शरीर को निर्देश दे रहा है कि आपके मुंह पर पानी आए।  क्योंकि आपके दिमाग को निंबू के खट्टेपन का एहसास हो रहा है। जबकि वास्तव में मैंने आपको ना तो गुलाब जामुन दिया और ना ही नींबू चखने को दिया। पर जैसे ही इन दोनों चीजों को खाने की बात हुई आपको उसका एहसास होने लगा,,,सही है न?

तो हमारा दिमाग इसी तरह से कार्य करता है। जब आप किसी भी चीज के बारे में सोचते हैं, तो हमारा अवचेतन मन उसी प्रकार से हमारे शरीर को निर्देश देता है।

जब आप किसी भी कार्य को सकारात्मक नजरिए से देखेंगे तो आपको उस कार्य से संबंधित समस्याओं के समाधान का विचार मिलेगा। पर यदि आप नकारात्मक नजरिए से किसी भी कार्य को देखेंगे तो आपको हमेशा समस्याएं ही दिखाई जाएंगी।

[जब तक आप सकारात्मक विचारों की आदत नहीं डाल लेते है, आप सफलता की कल्पना नहीं कर सकते है।]


दूसरे के कार्य में नकारात्मक विचार रखने का परिणाम

हमारा दिमाग इतना शक्तिशाली होता है कि वह बड़ा से बड़ी कार्य की योजना बना सकता है बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान खोज सकता है और बड़े से बड़े अविष्कार कर सकता है। इसका साक्षात उदाहरण आप स्वयं हैं आप वर्तमान में जो भी हैं आप अपने स्वयं के विचार के परिणाम हैं। क्योंकि आपने जैसा सोचा और विचार किया, उसी के अनुरूप आपने कार्य किया और कर रहे हैं।

कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी इच्छा हमारे मन में उत्पन्न होती है फिर हमारा दिमाग निर्देश देता है कि हमें उस कार्य को करना चाहिए। फिर हमरा शरीर उस कार्य की शुरुआत करता है। यानी किसी भी कार्य को हमें करना चाहिए या नहीं करना चाहिए यह पूरा विचार हमारे दिमाग पर निर्भर करता है। और हमारे दिमाग को जो संदेश बेहतर लगता है उसी के अनुसार हमारा शरीर कार्य करता है।

[ यदि आप सोचते हैं कि आप महान सफलता हासिल कर सकते हैं, तो आप बिल्कुल सही हैं! और यदि आप सोचते हैं, कि आप ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते है, तो भी आप बिल्कुल सही हैं !!]

हमारा मस्तिष्क हमारे दैनिक जीवन के कार्य के दौरान जानकारियां और अनुभव इकट्ठे करता रहता है और उसके पश्चात हम किसी भी नए कार्य के बारे में सोचते हैं तो हमारा दिमाग इन्हीं इकट्ठे किए गए जानकारीयां और अनुभवो के आधार पर हमें कार्य करने को प्रेरित करता है।




यदि आप दूसरे के द्वारा किए जा रहे किसी भी व्यवसाय के लिए नकारात्मक विचार रखते हैं तो यह आपके लिए भी नुकसानदायक होता है। हो सकता है आपको उसके व्यवसाय के बारे में जानकारी नहीं है पर जब आपको उसके व्यवसाय के बारे में ठीक-ठाक जानकारी मिल जाती है और आपको यह भी पता चलता है कि वह उस कार्य को करते हुए सफल व्यक्ति साबित हो रहा है तो बाद में यदि आप स्वयं भी उस कार्य को करना चाहे तो आपका मस्तिष्क आपको करने की अनुमति नहीं देगा। हो सकता है आपका मस्तिष्क आपसे कहेगा कि,,, वह कर सकता है आप नहीं कर पाओगे! इसलिए क्योंकि आपने ही नकारात्मक विचार सोच कर अपने दिमाग को आदत डाल रखी है। और इस तरह के चक्रव्यू से निकलना इतना आसान नहीं होता है।हो सकता है आपके पास सारे साधन हो उस काम को करने के लिए लेकिन आपका दिमाग यह विचार कहेगा कि,,, पता नहीं लोग क्या कहेंगे!,,, लोग कहीं आप का मजाक तो नहीं बनाएंगे!,,, यदि आप नहीं कर पाए तो लोगों को क्या मुंह दिखाओगे! इस तरह की कई बातें दिमाग में उत्पन्न होने लगेंगे और आप पीछे हट जाओगे।


दूसरों के कार्य पर सकारात्मक विचार रखने का परिणाम







तो बेहतर तो यही होगा कि अगर आप जीवन में तरक्की करना चाहते हैं तो हमेशा दूसरों के काम की सराहना करें। दूसरों के काम की तारीफ करें और दूसरों के लिए हमेशा अच्छा सोचे। कि वह लोग अपने काम को और ऊंचाइयों तक ले करके जाए। सफलता की ऊंचाइयों तक ले करके जाए। जब ऐसी सोच आपके अंदर आपके अवचेतन मस्तिष्क में बस जाएगी तो ऐसी ही सोच आपके स्वयं के लिए भी सकारात्मक विचार लाएगी। आप यदि किसी कार्य के बारे में योजना बनाएंगे तो आपका दिमाग इस बारे में सोचेगा कि आप उसे किस प्रकार सफल कर पाएंगे। वह सोचेगा कि आपके पास अगर कोई रुकावट आएगी तो उसका समाधान आप कैसे करेंगे। आपका दिमाग समाधान के बारे में सोचेगा। आपका दिमाग कहेगा कि कोई उस काम को अच्छा समझे या न समझे उसकी कोई परवाह नहीं, आप उस काम को बेहतर तरीके से करते रहेंगे । क्योंकि आप उस काम को तह तक समझते हैं कि वह कार्य किस प्रकार से भला कर पाएगा। वह कार्य योजना आपके कैरियर को सफलता की ऊंचाई तक कैसे लेकर के जाएगा।


आपके विचार एक्शन में कैसे आएंगे?

जैसा कि मैंने कहा कि किसी भी कार्य की शुरुआत हमारे दिमाग से होती है, और जब हमारे दिमाग किसी कार्य को सकारात्मक विचार उत्पन्न करता है, तभी वह विचार हमारे शरीर के द्वारा एक्शन के रूप में किया जाता है। तो किसी भी काम को परिणाम तक पहुंचने के लिए जरूरी है कि उस काम को एक्शन में लिया जाए। और वह काम एक्शन में तभी आ  पाएगा जब आपका दिमाग सकारात्मक रहेगा। अन्यथा आप उसे फालतू समझकर त्याग देंगे। या फिर आप सोचेंगे कि यार अभी क्या जरूरत है बाद में कर लूंगा! या आप सोचेंगे कि और अच्छे से समझ लेता हूं! या आप सोचेंगे कि इस विषय में और बेहतर जानकारी कट्ठा कर लेता हूं तभी शुरू करूंगा! और यह विचार आपको उस काम को एक्शन में लाने नहीं देगी।

जबकि आप अगर सकारात्मक सोचेंगे तो आपका दिमाग कहेगा कि,,, कुछ ना करने से बेहतर है कि पहले कदम की शुरुआत किया जाए!,,, काम करते करते ही सीख लेंगे क्या फर्क पड़ता है!,,, लोगों का काम है कहना!,,, जब मेरे कार्य में अच्छा परिणाम आएगा तो वे लोग ही मेरी तारीफ करेंगे! इस तरह के विचार जब आपके दिमाग में आएंगे तो आप पूरी ऊर्जा के साथ अपने काम की शुरुआत कर पाएंगे। उसे एक्शन में ले पाएंगे। जब आप उसे एक्शन में ले पाएंगे तब आप परिणाम तक पहुंच जाएंगे और यह परिणाम ही आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचाएगी।
अब आप स्वयं नए व्यक्तित्व का अविष्कार करें

सबसे पहले दूसरों के लिए सकारात्मक रहना सीखें।

जब भी आपको कोई नकारात्मक बात करता है तो आप उस विषय में सकारात्मक सोच रख कर उसे सकारात्मक जवाब दें।

जब भी कोई नया काम की शुरुआत करता है और आपसे बातें करता है तो आप उसके साथ नया काम की शुरुआत करें या उसके नया काम की सराहना करें और उसके बेहतर भविष्य के लिए उसे शुभकामनाएं दें।

जब किसी के नए काम करने के दौरान जब वह उसमें सफल नहीं हो पाता है तो उसका मजाक कभी ना उड़ाये।


किसी के असफल होने पर उसे बताएं कि सफल होने से पहले असफलता ही मिलती है। तो गलतियों को सीखते हुए नए सिरे से वह उस काम को फिर से शुरू करें।

जब किसी को किसी कार्य को करते हुए किसी भी तरह की परेशानी आती है तो उसके बारे में सकारात्मक सोचते हुए उसे समझाएं कि दुनिया में ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो बिना परेशानी के होता हो हर कार्य में चाहे छोटा कार्य हो चाहे बड़ा कार्य हो सभी कार्य में किसी न किसी प्रकार की परेशानी आती ही है और इन्हीं परेशानियों का समाधान करने के पश्चात ही हम परिणाम तक पहुंचते हैं अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं।

इस इस प्रकार जब दूसरों के हर कार्य को आप सकारात्मक नजरिए से देखेंगे, चाहे सामने वाले का कोई भी कार्य हो। चाहे छोटा ब्यवसाय हो, चाहे बड़ा कार्य हो। उसे छोटा बड़ा कार्य में तौले बगैर आप हमेशा सकारात्मक विचार रखेंगे, तो यही विचार आपके स्वयं के लिए भी सकारात्मक रहेगा। आप जीवन में हमेशा सफलता की ओर अग्रसर रहेंगे, हमेशा नई ऊंचाइयों को छुवेंगे, हमेशा अच्छा जीवन जिएंगे, जो कई लोगों के लिए केवल कल्पना मात्र रहेगी।

[“Our life is shaped by our mind, for we become what we think !” – Buddha]

आप अपने जीवन के बारे में जैसी कल्पना करते हैं आप वैसे ही सुंदर जीवन यापन करें। -विनोद!

अपनी बात मुझे कमेन्ट में लिखना न भूलें। बहुत-बहुत धन्यवाद!  आपका दिन शुभ हो!

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